चम्बा : चम्बा रुमाल में बेहतरीन कसीदाकारी के लिए चम्बा की अंजलि वकील को नैशनल अवार्ड मिला है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने यह सम्मान दिया है। इससे पहले अंजलि वकील की सास ललिता वकील को चम्बा रुमाल के लिए पद्मश्री मिल चुका है। अंजलि वकील ने बताया कि 2006 में शादी के बाद चम्बा रुमाल की कढ़ाई का काम सीखा। उनका विवाह कलाकारों के प्रसिद्ध परिवार में हुआ था। उनकी सास ललिता वकील को 1993 में चम्बा रुमाल के लिए नैशनल अवार्ड मिल चुका है। शादी के बाद वह सास की कला से काफी प्रभावित हुईं और चम्बा रुमाल की कढ़ाई करनी शुरू कर दी। इस दौरान कई अन्यडिजाइन पर काम किया और चम्बा रुमाल के दायरे में पैनल, दुपट्टा, शॉल और साड़ी को जोड़ा।
चम्बा रुमाल का इतिहास
चम्बा रुमाल एक कसीदाकारी हस्तकला है, जिसे कभी चम्बा राज्य के पूर्व शासकों के संरक्षण में बढ़ावा दिया गया था। चम्बा रुमाल का पहला वर्णन 16वीं शताब्दी में है। बेबे नानकी गुरु नानक देव जी की बहन थीं, उन्होंने इसे बनाया था और यह रुमाल आज भी होशियारपुर के एक गुरुद्वारे में है। 17वीं सदी में राजा पृथ्वी ङ्क्षसह ने चम्बा रुमाल की कला को संवारा और रुमाल पर ‘दो रुखा टांका’ कला शुरू की। उनके समय में चम्बा रियासत में आम लोगों के साथ-साथ शाही परिवार भी चम्बा रुमाल की कढ़ाई करते थे।
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