भारत के लिए आज ऐतिहासिक दिन है। नौसेना को शुक्रवार को अपना पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत मिल गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोच्चि शिपयार्ड में करीब डेढ़ घंटे चली कमिशनिंग सेरेमनी में ये एयरक्राफ्ट कैरियर नेवी को सौंपा। इसके साथ ही एक से ज्यादा युद्धपोत वाला भारत चौथा देश बन गया है। बता दें कि दुनिया में सिर्फ 8 देशों के पास विमानवाहक पोत हैं।
इसमें सबसे बड़ी और दिलचस्प बदलाव यह हुआ है कि नेवी को नया नौसेना ध्वज सौंपा गया है। अब इसमें से अंग्रेजों की निशानी क्रॉस का लाल निशान हटा दिया गया है। अब इसमें तिरंगा और अशोक चिह्न रहेंगे। पीएम नरेंद्र मोदी ने इसे महाराज शिवाजी को समर्पित किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने नौसेना के इस नए ‘निशान’ का अनावरण किया।
आईएनएस विक्रांत के निर्माण के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है, जिनके पास विमानवाहक पोत को स्वदेशी रूप से डिजाइन करने और निर्माण करने की क्षमता है। आईएनएस ‘विक्रांत’ को नौसेना में शामिल होना राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। बता दें कि इसके कल-पुरज़े कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आए हैं। करीब 20 हजार करोड़ रुपए की लागत से निर्मित इस विमानवाहक पोत ने पिछले महीने समुद्री परीक्षणों के चौथे और अंतिम चरण को सफलतापूर्वक पूरा किया था। खास बात है कि 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले आईएनएस विक्रांत के नाम पर ही इसका नाम रखा गया है।
जानते हैं क्या हैं इसकी विशेषताएं और कैसे यह 1971 के पाकिस्तान के युद्ध में इस्तेमाल किए गए विमानवाहक पोत से अलग है।
विशेषताएं : विक्रांत 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है। इसकी अधिकतम गति 28 नॉट्स है और यह 7500 समुद्री मील की दूरी तय कर सकता है। विक्रांत में लगभग 2,200 कंपार्टमेंट हैं, जिन्हें चालक दल के 1,600 सदस्यों के लिए तैयार किया गया है।
आईएनएस विक्रांत में लड़ाकू विमान मिग-29, कामोव-31, एमएच-60आर बहु उद्देशीय हेलीकॉप्टर के साथ ही स्वदेश निर्मित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) और हल्के लड़ाकू विमान (एलएसी) सहित 30 विमानों के रखने की क्षमता है।
इनमें महिला अधिकारियों और नाविकों के लिए बनाए गए विशेष केबिन शामिल हैं। पोत में चिकित्सा से जुड़ी सभी आधुनिक सुविधाएं मसलन ऑपरेशन थिएटर, फिजियोथेरेपी क्लिनीक,आईसीयू,जांच की सुविधाएं,सीटी स्कैनर, एक्स रे मशीन आदि जैसी सुविधाएं मौजूद हैं।
कुछ तथ्य : 2 अक्टूबर 1934 को नौसेना का नया नामकरण ‘रॉयल इंडियन नेवी’ के रूप में किया गया था जिसका मुख्यालय मुंबई में बनाया गया था।
आजादी के बाद देश का विभाजन होने पर रॉयल इंडियन नेवी को रॉयल इंडियन नेवी और रॉयल पाकिस्तान नेवी के रूप में विभाजित किया गया था।
26 जनवरी 1950 को गणतंत्र घोषित होने पर ‘रॉयल’ शब्द हटा दिया गया। इसकी जगह ‘इंडियन नेवी’ (भारतीय नौसेना) का इस्तेमाल किया गया।
नौसेना का मौजूदा डिजाइन एक सफेद ध्वज है, जिस पर क्षैतिज और लंबवत रूप में लाल रंग की दो पट्टियां हैं। भारत का राष्ट्रीय चिह्न (अशोक स्तंभ) दोनों पट्टियों के मिलन बिंदु पर अंकित है।
पोत का डिजाइन भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो और इसका निर्माण पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के अंतर्गत शिपयार्ड कंपनी कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है।
ऐसे हुआस ‘आईएनएस विक्रांत‘ का पुनर्जन्म
- भारतीय नौसेना को मिला आईएनएस विक्रांत
- स्वदेश निर्मित पहला विमान वाहक पोत है ‘आईएनएस विक्रांत’
- 20,000 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित
- एक से ज्यादाविमानवाहक
वाला भारत चौथा देश बना - सिर्फ 8 देशों के पास विमानवाहक पोत
- बराक और ब्रह्मोस से लैस है यह युद्धपोत
- 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले आईएनएस विक्रांत के नाम पर रखा गया है
आईएनएस विक्रांत : पहले स्वदेशी युद्धपोत की विशेषताएं
- लंबाई 262 मीटर, चौड़ाई 60 मीटर
- वजन 45000 टन, इसका कुल क्षेत्रफल 2.5 एकड़
- भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने तैयार किया
- भारत के सामुद्रिक इतिहास में अब तक का सबसे विशाल पोत है
- इसका निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है
- इसे 76 फीसदी स्वदेशी उपकरणों से तैयार किया गया है
- 88 मेगावाट बिजली की 4 टर्बाइनों द्वारा संचालित
- स्ट्राइक फोर्स की रेंज 1500 किलोमीटर
- इस पर MiG-29 लड़ाकू विमान, Kmaov Ka-31 और MH-60R मल्टीरोल हेलिकॉप्टर्स
स्क्वॉड्रन तैनात होंगे
- इसमें एक बार में 196 नौसेना अधिकारी और 1149 सेलर्स और एयरक्रू रह सकते हैं
- इसमें 4 ओटोब्रेडा (Otobreda) 76 mm की ड्यूल पर्पज कैनन
- 4 AK 630 प्वाइंट डिफेंस सिस्टम गन
- 36 से 40 लड़ाकू विमान तैनात हो सकते हैं
- फ्लाइट डेक 1.10 लाख वर्ग फुट की है, जिस पर से फाइटर जेट आराम से टेकऑफ या लैंडिंग कर सकते हैं
- इसे बनाने की प्रक्रिया की साल 2009 में शुरू हुई थी
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