सोलंगनाला से सटे सोलंग गांव जाने के लिए सात साल से निर्माणाधीन सोलंग पुल रविवार को तैयार होने से पहले शटरिंग हटाते ही धराशायी हो गया। पुल में इस्तेमाल की जा रही सामग्री की घटिया गुणवत्ता होने पर लेंटर के बाद केबल लगाने के लिए लोक निर्माण विभाग ने ठेकेदार को अनुमति नहीं दी थी। विभाग ने गुणवत्ता सही नहीं होने और पुल निर्माण में देरी के कारण टेंडर रद्द कर नए ठेकेदार को काम दिया है।
रविवार को पुराने ठेकेदार के मजदूर पुल में लगी शटरिंग खोल रहे थे, तभी पुल गिर गया। गनीमत यह रही कि इस दौरान कोई हताहत नहीं हुआ। वहीं, विभाग तर्क दे रहा है कि कार्य नए ठेकेदार को दे दिया गया है। निर्माणाधीन पुल का कार्य सही नहीं होने पर उसे तोड़ा जाना था। पुल निर्माण में देरी पर सोलंग गांव के लोग खफा हैं। इसी वर्ष अगस्त में बरसात के दौरान दो बालक यहीं बनाए गए अस्थायी पुल के टूटने से खड्ड में बह गए थे।
गौर हो कि वर्ष 2015 में इस पुल का शिलान्यास हुआ था। वर्ष 2017 में विभाग ने पंजाब की वेलकॉन इंडिया कंस्ट्रक्शन कंपनी को इसका काम दिया था। एक तो कार्य समय पर पूरा नहीं हुआ, वहीं दूसरी ओर पुल के आधार स्तंभ और लेंटर पर लगभग सवा करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए, जिसकी गुणवत्ता सही नहीं पाई गई। हालांकि, लेंटर की राशि का विभाग ने ठेकेदार को भुगतान नहीं किया है।
पुल बनाने में देरी पर एक बार यहां के बाशिंदे लोकसभा चुनाव का भी बहिष्कार कर चुके हैं। अब पुल ढहने से विभाग की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में आ गई है। पुल में लगी शटरिंग लंबे समय से नहीं हटाई गई थी। टेंडर रद्द होने के बाद विभाग ने पुराने ठेकेदार को वहां से अपना सामान समेटने के आदेश दिए थे। लिहाजा, ठेकेदार इसकी शटरिंग हटवा रहा था। इसी दौरान पुल बीच से टूटकर गिर गया।
दो वर्ष में पुल तैयार नहीं हुआ था। चीफ इंजीनियर ने इसका वर्क ऑर्डर रद्द कर दिया था। विभाग ठेकेदार के कार्य से असंतुष्ट था। लिहाजा, उसे वहां से अपना सामान हटाने के लिए कहा था। शटरिंग हटाते समय पुल गिर गया। गुणवत्ता रहित अधूरे पुल को वैसे भी तोड़ा जाना था। – अनूप शर्मा, अधिशासी अभियंता, लोक निर्माण विभाग
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