हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले की रेणुकाजी विधानसभा क्षेत्र के कई गांवों के ग्रामीण बरसात में काले पानी जैसे हालात में जीने को मजबूर हैं। इन लोगों को हर साल बरसात के दौरान ऐसे हालातों का सामना करना पड़ता है। 300 मीटर के दायरे में ही लोग एक दूसरे से नहीं मिल रहे हैं। भाई से भाई नहीं मिल पा रहा है। छछेती पंचायत के क्यारी जैसे साथ लगते ऐसे कई गांव हैं, जहां हर तरफ बेबसी और लाचारी है। न तो इस क्षेत्र से कोई बाहर जा सकता और न ही रिश्तेदारों का यहां पहुंचना आसान है। दरअसल यह सब स्थितियां बरसात के दौरान पैदा हो रही हैं।
हैरानी की बात है कि सतौन से रेणुकाजी के बीच पड़ने वाले इन इलाकों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। 30 किलोमीटर के दायरे में आज तक गिरि नदी पर पुल तो दूर फुटपाथ का भी निर्माण नहीं हो सका है। ऐसे में इन क्षेत्रों को काले पानी जैसा जीवन जीने के लिए विवश होना पड़ रहा है। रेणुकाजी विधानसभा क्षेत्र में क्यारी के साथ सटा डाडुआ तो दूसरी ओर शिलाई विधानसभा क्षेत्र में भजौन गांव। डाडुआ और भजौन गांव गिरि नदी के दोनों छोर पर बिल्कुल आमने-सामने हैं। डाडुआ निवासी खजान सिंह शर्मा ने बताया कि उनके चार परिवार डाडुआ और तीन परिवार भजौन में हैं।
यहां दोनों सगे भाइयों को मिलने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि नाडी से खाली अछोण तक सड़क नहीं बन पाई। बता दें कि नाडी, काईला, डाडुआ, क्यारी, चंडग्यारी, खाली अछोण, मेशनल, गातु, कंडोला, कुडला खरक, नेरी रेती, भनैत हल्दवाड़ी, डाबरा, ठक्कर गवाना, चबरोंन और महत रेणुकाजी विस क्षेत्र में हैं। जबकि शिलाई क्षेत्र के तहत मानल, पेदुवा, भजौन, कुन्ना, शडियार, अंबोण, जांदनिया, घुड़ाना और चांदनी गिरि नदी से सटे गांव हैं।
नाड़ी से खाली अछोण तक जल्द बने सड़क
उधर, धारटीधार विकास मंच का एक प्रतिनिधिमंडल अध्यक्ष जोगी राम शर्मा की अध्यक्षता में सोमवार को एसडीएम पांवटा से मिला। जोगी राम ने कहा कि 2014 से नाडी-खाली अछोण तक सड़क बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन 9 साल बाद भी सड़क का काम नहीं चल सका। अब दोबारा फाइल त्रुटियां लगाकर शिमला से वापस आ गई है।एसडीएम गुंजीत सिंह चीमा ने बताया कि जल्द सड़क को लेकर निरीक्षण किया जाएगा।। सड़क को बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।
कृपया अपनी खबरें, सूचनाएं या फिर शिकायतें सीधे [email protected] पर भेजें। इस वेबसाइट पर प्रकाशित लेख लेखकों, ब्लॉगरों और संवाद सूत्रों के निजी विचार हैं। मीडिया के हर पहलू को जनता के दरबार में ला खड़ा करने के लिए यह एक सार्वजनिक मंच है।