हिमाचल प्रदेश की शिमला तहसील के तात्कालिक तहसीलदार और पटवारी को धोखाधड़ी से इंतकाल दर्ज करने के जुर्म में दो-दो वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने शिमला तहसील के मेद राम शर्मा तात्कालिक तहसीलदार और मदन सिंह कलंटा तत्कालीन पटवारी को भारतीय दंड संहिता की धारा 467, 468, 471 और 120बी के तहत सजा सुनाई गई है। धारा 467 और 468 तहत दो-दो वर्ष के कठोर कारावास और 10,000 रुपये जुर्माना, धारा 120 बी के लिए छह महीने का कठोर कारावास और 2,000 रुपये का जुर्माना, धारा 468 के लिए एक वर्ष का कठोर कारावास और 10,000 रुपये का जुर्माना और धारा 471 के लिए, छह महीने की अवधि के लिए कठोर कारावास और 5,000 रुपये का जुर्माने की सजा सुनाई गई है।
सहायक जिला न्यायवादी मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि आरोपी सूरज गुप्ता, मदन सिंह कलंटा और मेद राम शर्मा ने आपराधिक साजिश रचकर भूमि के सह-हिस्सेदार जोआना गुप्ता की अनुपस्थिति में 3 जनवरी 2009 को इंतकाल दर्ज कर दिया। इनमें से अभियोग के दौरान सूरज की मौत हो चुकी है। भूमि जो संयुक्त रूप से सूरज गुप्ता और जोआना गुप्ता के स्वामित्व में थी, उस जमीन का दोनों राजस्व अधिकारियों ने सूरज गुप्ता के पक्ष में इंतकाल दर्ज कर दिया। जोआना गुप्ता के पक्ष में कम भूमि का विभाजन कर इंतकाल दर्ज किया। दोषियों ने राजस्व अधिकारी होने के नाते आरोपी सूरज गुप्ता के साथ मिलकर पीड़ित जोआना गुप्ता के हिस्से को अवैध रूप से हस्तांतरित कर दिया। अभियोजन पक्ष ने दोषियों के खिलाफ अभियोग साबित करने के लिए 18 गवाहों के बयान दर्ज करवाए। गवाहों के बयानों के आधार पर अदालत ने दोनों राजस्व अधिकारियों को दोषी ठहराया।
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