शिमला : हिमाचल के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का तौर तरीका बदलेगा। सरकारी स्कूलों के बच्चें फर्रााटेदार अंग्रेजी बोले, अनुशासन में रहें इसे सीखेंगे। राज्य सरकार इसके लिए नई पहल करने जा रही है। समग्र शिक्षा अभियान (एसएसए) की तरफ से सरकार को भेजे गए प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है।
प्रस्ताव के तहत सरकारी स्कूलों में बच्चों व शिक्षकों को निजी स्कूलों में भेजा जाएगा। निजी स्कूलों के बच्चें भी सरकारी स्कूल में आएंगे। निजी स्कूलों में नामी स्कूलों का चयन किया जाएगा। एक तरह से यह एजुकेशनल लर्निंग एक्सचेंज कार्यक्रम होगा।
सरकारी स्कूल के बच्चें निजी स्कूलों में जाकर देखेंगे कि वहां पर पढ़ाई किस तरह से होती है। किस तरह का अनुशासन वहां पर है। मॉर्निंग असैंबली से लेकर क्लास रूम में जाकर व्यवस्थाओं को बच्चें व शिक्षक देखेंगे। निजी स्कूलों में पीटीएम किस तरह से होती है।
कम्यूनिकेशन स्किल डवेल्प करने के लिए किस तरह की ट्रेनिंग दी जाती है। क्लास रूम का माहौल क्या है, वीकली टेस्ट कैसे होते हैं। जो बच्चें पढ़ाई में कमजाेर है उनमें सुधार के लिए किस तरह पढ़ाया जाता है इन सारी चीजों पर काम किया जाएगा।
विभाग का कहना है कि सरकारी स्कूलों का जो स्टाफ है वह पात्रता में अव्वल है। हजारों बच्चों में से चुनिंदा ही टेस्ट क्वालीफाई करते हैं तब उन्हें सरकारी स्कूलों में नौकरी मिल पाती है। जबकि निजी स्कूलों में इस तरह का कोई टेस्ट नहीं होता। विभाग निजी स्कूलों को सरकारी स्कूलों का मेंटर बनाएगी। इससे दोनों तरह के स्कूल एक-दूसरे से बहुत कुछ सीखेंगे।
समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक राजेश शर्मा ने कहा कि सरकार को यह प्रस्ताव भेजा गया था। जिसकी मंजूरी मिल गई है। जल्द इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा।
15393 सरकारी स्कूल, निजी की संख्या महज 2619
प्रदेश में सरकारी क्षेत्र में 15,393 स्कूल है। जबकि निजी क्षेत्र के ढस्कूलों की संख्या 2619 के करीब है। 47 केंद्रीय विद्यालय या नवोदय विद्यालय हैं, जबकि 20 स्कूल अन्य तरह के हैं। फिलहाल राज्य सरकार बड़े नामी स्कूलों जैसे शिमला के बिशप कॉटन स्कूल और सोलन के सनावर स्कूल इत्यादि को अपने साथ जोड़ेगी। इन स्कूलों से सरकारी स्कूल परिसर के माहौल प्रबंधन, साफ-सफाई और पढ़ाने के तौर तरीके साझा किया जाएगा।
निजी स्कूलों में है शिक्षकों की जवाबदेही
बोर्ड परीक्षाओं में निजी स्कूलों की ओवर ऑल परफॉर्मेंस काफी अच्छी रहती है। हालांकि सरकारी स्कूलों के बच्चें भी मैरिट में अच्छे स्थानों पर आते हैं लेकिन ओवर ऑल परसेंटेज में निजी स्कूल बाजी मार जाते हैं। निजी स्कूलों में बच्चों के कम्यूनिकेशन स्किल में सुधार पर काफी काम होता है ताकि वह प्रतियोगी माहौल के लिए तैयार हो सके। सरकारी स्कूलों में इसको लेकर प्रयास किए गए हैं लेकिन इसे सिरे नहीं चढ़ाया गया है।
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