धर्मशाला : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में जिला कांगड़ा का कई बार जिक्र करके जिला वासियों को गोरवांवित महसूस करवाया। उन्होंने अपने भाषण की शुरूआत स्वतंत्रता सेनानी पहाड़ी बाबा कांशी राम को नमन करके किया। इसके बाद उन्होंने केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश की स्थापना एवं सीयू निर्माण में अभी तक हुए कांगड़ा को भाजपा की उपलब्धि बताते हुए कहा कि सीयू की स्थापना से देश भर में विद्यार्थी जिला कांगड़ा में आकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
इसके अलावा तकनीक के क्षेत्र में हिमाचल में हुए विकास का जिक्र भी पीएम मोदी ने किया। उन्होंने ड्रोन तकनीक हिमाचल में विकसित करने के लिए प्रदेश सरकार की सराहना की। ड्रोन तकनीकी का विकास भी जिला कांगड़ा से ही हुआ है। सरकार ने राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान एवं आइटीआइ शाहपुर में पिछले साल हिमाचल का पहला ड्राेन प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया था। यहां केंद्र की सफल होने के बाद अब प्रदेश भर में इसका प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वहीं पीएम मोदी ने एक बार फिर से कांगड़ा चित्रकला को याद करते हुए कहा कि कांगड़ा चित्रकला देश विदेश में प्रसिद्ध है, यह भी कांगड़ा, हिमाचल और यहां के चित्रकलाओं की ही उपलब्धि है।
सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास की धर्मशाला में बनी थी योजना
पीएम मोदी ने भाषण में प्रदेश में सीमावर्ती क्षेत्रों को विकसित करने की बात की। यहां बता दें कि गत सप्ताह धर्मशाला में हुए पर्यटन मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन में इस एजेंडे को लेकर भी चर्चा हुई थी। इसमें पर्यटन मंत्रालय की ओर से निर्धारित किया गया था कि देश में सभी राज्यों के बार्डर एरिया का पर्यटन की दृष्टि से विकास किया जाएगा, जोकि अब तक दो राज्यों के सीमा होने के चलते पिछड़े रह जाते थे।
1980 से पूर्व कांगड़ा चित्रकला अपना अस्तित्व खाेने लगी थी। मोदी सरकार आने के बाद कांगड़ा पेंटिंग को देश ही नहीं विदेश में भी प्रोत्साहन दिया गया है। इसी का परिणाम है कि विदेशों में भी कांगड़ा पेंटिंग की अपनी अलग पहचान है। प्रदेश सरकार ने कौशल विकास योजना के तहत कांगड़ा पेंटिंग को आधार देकर प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए हैं, जिसमें अभी तक लगभग 150 कलाकार तैयार हुए हैं। इससे कलाकारों का उत्थान भी हुआ है और आर्थिक मजबूती भी मिली है।
कृपया अपनी खबरें, सूचनाएं या फिर शिकायतें सीधे [email protected] पर भेजें। इस वेबसाइट पर प्रकाशित लेख लेखकों, ब्लॉगरों और संवाद सूत्रों के निजी विचार हैं। मीडिया के हर पहलू को जनता के दरबार में ला खड़ा करने के लिए यह एक सार्वजनिक मंच है।