बिहार की सबिता महतो समुद्रतल से 19,300 फीट ऊंचे उमलिंग दर्रे को साइकिल से फतह करने वाली दुनिया की पहली महिला बन गई हैं। माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप से भी ऊंचे उमलिंग दर्रे को अभी तक किसी महिला साइकिलिस्ट ने फतह नहीं किया था। बिहार के पानापुर की रहने वाली 25 वर्षीय सबिता महतो ने पांच जून को दिल्ली से दुनिया के सबसे ऊंचे दर्रे को साइकिल से फतह करने के लिए सफर शुरू किया था। लगभग 23 दिनों की लंबी और चुनौतियों भरे सफर को पूरा करते हुए 28 जून को सबिता महतो ने आखिरकार लद्दाख में समुद्रतल से 19,300 फीट उमलिंग दर्रे को फतह करने में कामयाबी पाई। इस दौरान महतो ने बारालाचा, तंगलंग और खार्दुंगला जैसे दर्रों को पार करते हुए 1,204 किमी का सफर साइकिल से तय किया।
सर्दी के मौसम में यहां का पारा माइनस 40 डिग्री तक लुढ़क जाता है। अत्यधिक ऊंचाई और वनस्पति विहीन होने के कारण यहां मैदानी इलाकों की तुलना में 50 फीसदी कम ऑक्सीजन है। उमलिंग दर्रे को फतह करने बाद दिल्ली लौटते समय सबिता महतो का लाहौल-स्पीति साइकिल एसोसिएशन ने केलांग में उनका स्वागत किया। एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील कुमार ने कहा कि साइकिल से दुनिया के सबसे ऊंचे उमलिंग दर्रे की चढ़ाई कर महतो ने विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया। उमलिंग को साइकिल से नापने वाली वह दुनिया की पहली महिला बन गई हैं।
सितंबर में लाहौल में प्रस्तावित ग्रे-घोस्ट नेशनल साइकिल चैंपियनशिप में आने का संघ ने महतो को निमंत्रण दिया है। सबिता महतो बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं। परिवार सिलीगुड़ी में मछली बेच कर गुजारा करता है। इससे पहले महतो 173 दिन में 29 राज्यों का साइकिल से सफर कर चुकी हैं। सबिता महतो ने बताया कि वह अब एवरेस्ट के शिखर पर तिरंगा फहराना चाहती हैं, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण अभी तक इस अभियान को शुरू नहीं कर पा रही हैं।
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